Thursday 3 May 2012

गोलिक स्थिति को दर्शाता है; इसे संस्कृत शब्द सिंधु से लिया गया है और यह सिंधु नदी के इलाकों के व्यक्ति को संदर्भित करता है. इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है और एक इश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखता है तथा मुहम्मद का अनुसरण करता है. यह भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धर्म है. 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत 138 मिलियन मुसलमानों[35] का घर है, जो कि इंडोनेशिया (210 मिलियन)[36] और पाकिस्तान (166 मिलियन) के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है; जनसंख्या में उनका अनुपात 13.4% का है.[37] मुसलमान जम्मू-कश्मीर तथा लक्षद्वीप में बहुमत में हैं[38] और आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और केरल जैसे राज्यों में भी वे काफी अधिक संख्या में पाए जाते हैं.[38][39] हालांकि, भारत में संप्रदाय आधारित कोई जनगणना नहीं की गयी है, लेकिन सूत्रों से पता लगता है कि सुन्नी इस्लाम[40] के अनुयायी सबसे अधिक हैं जबकि उनमे अल्पसंख्यक होने के बावजूद शिया मुसलमानों की संख्या काफी अधिक है. टाइम्स ऑफ इंडिया और डीएनए जैसे भारतीय सूत्रों के अनुसार 2005-2006 के मध्य में शिया लोगों की संख्या कुल मुस्लिम जनसंख्या के 25% से 31% के बीच थी; अर्थात 157,000,000 मुसलमानों में उनकी संख्या 40,000,000[41][41] से 50,000,000[42] के बीच थी.[43][44] 15 वीं या 16 वीं सदी के ताड़ के पत्ते का पांडुलिपि में सम्मिलित तमिल भाषा में ईसाई प्रार्थना का एक सेट. ईसाई धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है और नए टेस्टामेंट में प्रस्तुत यीशु के जीवन तथा उपदेशों पर आधारित है; यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और ईसाईयों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 2.3% है. भारत में ईसाई धर्म की शुरूआत का श्रेय सेंट थॉमस को दिया जाता है. वे मालाबार में 52 ई. में पहुंचे थे.[45][46][47] नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में ईसाई लोग बहुमत में हैं और पूर्वोत्तर भारत, गोवा तथा केरल में भी उनकी संख्या काफी अधिक है. बौद्ध धर्म एक धार्मिक, अनीश्वरवादी धर्म तथा दर्शन (विचारधारा) है. बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य तथा जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में बहुमत में हैं और सिक्किम में भी उनकी काफी बड़ी संख्या (40%) निवास करती है. लगभग 8 मिलियन बौद्ध भारत में रहते हैं, जो कि जनसंख्या का लगभग 0.8% है.[35] जैन धर्म एक अनीश्वरवादी धर्म तथा दार्शनिक प्रणाली है जिसका प्रारंभ भारत में लौह युग में हुआ था. जैनियों की आबादी भारत की जनसंख्या का 0.4% (लगभग 4.2 मिलियन) है और वे मुख्यतः राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में केंद्रित हैं.[38] हालांकि जैन धर्म को आमतौर पर अनीश्वरवादी माना जाता है, पॉल डूंडास लिखते हैं, "हालांकि जैन धर्म को सृष्टि-रचयिता भगवान के अस्तित्व और उनके द्वारा मानवी कार्यों में हस्तक्षेप की संभावना को नकारने के सीमित अर्थ में नास्तिक माना जा सकता है, लेकिन इसके द्वारा प्रत्येक जीव के भीतर परमात्मा नामक एक ईश्वरीय अस्तित्व की संभावना को स्वीकारने, जिसे अक्सर 'भगवान' (उदाहरण, पृष्ठ 114-16) कहा जाता है, के गूढ़ अर्थ में आस्तिक धर्म की संज्ञा देनी चाहिए ".[48] जैकोबाइट सीरियन और्थोडौक्स चर्च, 1550 AD में स्थापित पॉल डूंडास लिखते हैं कि 19वीं सदी के अधिकांश ब्रिटिश विद्वानों को "जैन धर्म की स्वतंत्र प्रकृति तथा उत्पत्ति के विषय में कोई संशय नहीं था".[49] 1847 में एक विद्वान ने लिखा है कि जैन, पारसी, तथा सिक्ख जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों में "ब्राह्मणों की पूजा पद्धति से कुछ भी मिलता-जुलता नहीं था".[50] एक अन्य विद्वान ने 1874 में कहा कि जैनियों को हिंदू कानूनों के तहत नहीं लाया जा सकता क्योंकि "हिंदू शब्द का प्रयोग हिंदू कानून का मूल माने जाने वाले शास्त्रों के दायरे में आने वाले व्यक्तियों के लिए किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति उस दायरे से बाहर है तो उसपर हिन्दू कानून लागू नहीं किया जा सकता है.[51] हालांकि उन्होंने यह अवश्य कहा कि, "भारत की एकदम शुरुआती जनगणनाओं से पता चलता है कि कई जैन लोग तथा अन्य धार्मिक समूहों के सदस्य स्वयं को वास्तव में हिंदू धर्म के ही एक प्रकार के रूप में देखते थे और, 1921 की पंजाब की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, 'जैनियों तथा सिखों की एक बड़ी संख्या द्वारा हिंदुओं से अलग वर्गीकृत किये जाने के प्रति अनिच्छा के कारण, उन व्यक्तियों को जैन-हिंदू तथा सिख-हिंदू के रूप में दर्ज किये जाने की अनुमति दे दी गयी".[52] उन्होंने माना कि "गणनाकारों के पूर्वाग्रह" ने जनगणना को अवश्य प्रभावित किया था. इसके अलावा वे कहते हैं कि "जैन-हिन्दू" शब्द एक दुर्भाग्यपूर्ण समझौता मात्र था".[53] सिक्ख धर्म की शुरुआत सोलहवीं शताब्दी में उत्तर भारत में नानक तथा उनके बाद आने वाले नौ अन्य गुरुओं के उपदेशों के फलस्वरूप हुई. 2001 तक भारत में 19.2 मिलियन सिक्ख थे. पंजाब सिक्खों का आध्यात्मिक घर है और एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सिख बहुमत में हैं. सिक्खों की एक बड़ी संख्या पड़ोस के नई दिल्ली तथा हरियाणा राज्यों में भी रहती है. संटा कैटारीना के से कैथेड्रल कोचीन में परदेसी आराधनालय का अभ्यन्तर. 2001 की जनगणना के अनुसार पारसी (भारत में पारसी धर्म के अनुयायी) लोग भारत की कुल जनसंख्या का 0.006% हैं,[54] और अपेक्षाकृत रूप से मुंबई शहर तथा उसके आसपास ही केंद्रित हैं. भारत में पारसियों की संख्या लगभग 61,000 है और 2001 की जनगणना के अनुसार में मुख्यतः मुंबई के आसपास ही केंद्रित हैं. डोंयी-पोलो तथा महिमा जैसे कुछ आदिवासियों के धर्म भी भारत में मौजूद हैं. संथाल भी, संथाल लोगों द्वारा माने जाने वाले कई आदिवासी धर्मों में से एक है; संथाल लोगों की कुल संख्या लगभग 4 मिलियन है लेकिन इस धर्म को मानने वालों के संख्या मात्र 23,645 ही है. भारत में लगभग 2.2 मिलियन लोग बहाई आस्था के अनुयायी हैं, इस प्रकार यह विश्व में बहाई लोगों का सबसे बड़ा समुदाय है.[55] दक्षिण भारत में प्रचलित 'अय्यावाझी' को आधिकारिक तौर पर एक हिंदू संप्रदाय माना जाता है और जनगणना में उसके अनुयायियों की गिनती हिंदुओं के रूप में की है. आज भारतीय यहूदियों का समुदाय बहुत ही छोटा है. ऐतिहासिक रूप से भारत में काफी अधिक यहूदी रहा करते थे, जिनमें शामिल हैं, केरल के कोचीन यहूदी, महाराष्ट्र के बेन इस्राएल, और मुंबई के निकट बगदादी यहूदी. इसके अतिरिक्त, स्वतंत्रता के बाद से भारत में मुख्यतः दो परिवर्तित (प्रोसीलाईट) यहूदी समुदाय रह रहे हैं: मिजोरम, मणिपुर के नेई मेनाशे, तथा बेने एफ्राइम जिन्हें तेगुलू यहूदी भी कहा जाता है. भारतीय मूल के लगभग 95,000 यहूदियों में से भारत में अब 20,000 से भी कम बचे हैं. भारत के कुछ हिस्से इस्राइलियों में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं और त्योहारों के मौसम में उनकी संख्या काफी बढ़ जाती है. 2001 की जनगणना में लगभग 0.07% लोगों ने अपने धर्म का खुलासा नहीं किया था. [संपादित करें] आंकड़े (सांख्यिकी) इन्हें भी देखें: Demographics of India 1909 में ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के मानचित्र, प्रचलित धर्म द्वारा छायांकित. साँचा:Crlfसाँचा:Crlf श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में एक मस्जिद में प्रार्थना कर रहे मुसलमान. भारत के धार्मिक समुदायों के आंकड़े निम्नलिखित हैं (2001 जनगणना): Religions of India[39]α[›]β[›]धर्म जनसंख्या प्रतिशत सभी धर्म 1,028,610,328 100.00% हिन्दू 827,578,868 80.5% मुसलमान 138,188,240 13.4% ईसाई 24,080,016 2.3% सिख 19,215,730 1.9% बौद्ध 7,955,207 0.8% जैन 4,225,053 0.4% बहाई 1,953,112 0.18% अन्य 4,686,588 0.32% धर्म का खुलासा नहीं किया 727,588 0.1% धार्मिक समूहों की विशेषताएंधार्मिक समूह जनसंख्या % विकास (1991-2001) लिंग अनुपात (कुल) साक्षरता (%) कार्य में भागीदारी (%) लिंग अनुपात (ग्रामीण) लिंग अनुपात (शहरी) लिंग अनुपात (बच्चे)ε[›] हिंदू 80.46% 20.3% 931 65.1% 40.4% 944 894 925 मुस्लिम 13.43% 36.0% 936 59.1% 31.3% 953 907 950 ईसाई 2.34% 22.6% 1009 80.3% 39.7% 1001 1026 964 सिख 1.87% 18.2% 893 69.4% 37.7% 895 886 786 बौद्ध 0.77% 18.2% 953 72.7% 40.6% 958 944 942 जैन 0.41% 26.0% 940 94.1% 32.9% 937 941 870 एनिमिस्ट, अन्य 0.65% 103.1% 992 47.0% 48.4% 995 966 976 [संपादित करें] कानून मुख्य लेख : Constitution of India, Fundamental Rights, Directive Principles and Fundamental Duties of India, Secularism in India, और Indian religion#Status in the Republic of India भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र" घोषित किया गया है. प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द को 1976 में बयालीसवें संशोधन अधिनियम द्वारा डाला गया था. यह सभी धर्मों के प्रति सहनशीलता और समान व्यवहार को बढ़ावा देता है. भारत राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है; यह किसी भी धर्म का पालन करने, उपदेश देने, और प्रचार करने के अधिकार को प्रदान करता है. किसी भी सरकार समर्थित स्कूल में कोई धार्मिक अनुदेश नहीं दिया जाता है. एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ मामले में भारत की सर्वोच्च न्यायलय ने माना कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है.[56] भारतीय संविधान के अनुसार धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. संविधान एक दिशासूचक सिद्धांत (डाइरेक्टिव प्रिंसिपल) के रूप में नागरिकों के लिए समान आचार संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का भी सुझाव देता है.[57] हालांकि अबतक इसे लागू नहीं किया गया है क्योंकि दिशानिर्देशक सिद्धांत संवैधानिक रूप से अप्रवर्तनीय हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि समान आचार संहिता को एक बार में ही लागू करना देश की अखंडता के लिए नुकसानदायक हो सकता है, और परिवर्तन को धीरे-धीरे करके लाना चाहिए (पन्नालाल बंसीलाल बनाम आंध्र प्रदेश राज्य, 1996 ).[58] महर्षि अवधेश बनाम भारत संघ (1994) में सर्वोच्च न्यायलय ने एक समान आचार संहिता लाने के लिए सरकार के खिलाफ एक रिट ऑफ मैंडेमस (परमादेश) को ख़ारिज कर दिया था, और इस प्रकार इसको लाने की जिम्मेदारी विधायिका पर डाल दी.[59] प्रमुख धार्मिक समुदाय जो भारत में आधारित नहीं हैं, वे अभी भी अपने निजी कानूनों का ही पालन कर रहे हैं. जहां मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, और यहूदियों के उनके स्वयं के निजी कानून हैं; हिंदू, जैन, बौद्ध, और सिख लोग 'हिंदू पर्सनल लॉ' नामक एक निजी कानून द्वारा शासित होते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (2) (बी) में कहा गया है कि हिंदुओं में "सिक्ख, जैन तथा बौद्ध धर्मं का पालन करने वाले व्यक्तियों" को भी शामिल किया जायेगा.[60] इसके अलावा हिंदू विवाह अधिनियम 1955, जैनियों, बौद्ध, तथा सिक्खों की क़ानूनी स्थिति को इस प्रकार परिभाषित करता है - क़ानूनी रूप से हिंदू परन्तु "धर्म के आधार पर हिंदू" नहीं.[61] भारत के धर्मनिरपेक्ष ("नागरिक") कानून के तहत आने वाला एकमात्र भारतीय धर्म ब्रह्मोइज्म है, जो 1872 के अधिनियम III से प्रारंभ होता है. [संपादित करें] पहलू धर्म भारतीयों के जीवन में प्रमुख भूमिका निभाता है.[62] रीति-रिवाज, पूजा, और अन्य धार्मिक गतिविधियां किसी भी व्यक्ति के जीवन में काफी महत्त्वपूर्ण होती हैं; सामाजिक जीवन में भी इनका प्रमुख स्थान रहता है. प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिकता का स्तर भिन्न होता है; हाल के दशकों में भारतीय समाज में धार्मिक रूढ़िवाद तथा उसके पालन में काफी कमी आई है, खासकर शहर में रहने वाले युवाओं में. [संपादित करें] रीति-रिवाज गर्मी मानसून के दौरान उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर एक पूजा का प्रदर्शन. भारतीयों की एक विशाल संख्या दैनिक आधार पर कई रीति-रिवाजों का पालन करती है.[63] अधिकांश हिंदू अपने घर में ही धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं.[64] हालांकि, रीति-रिवाजों का पालन भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, गावों, तथा व्यक्तियों के बीच काफी अलग हो सकता है. श्रद्धालु हिंदू जन कुछ कामों को दैनिक रूप से करते हैं, जैसे कि, सुबह-सुबह स्नान करने के बाद पूजा करना (जिसे आमतौर पर घर के किसी मंदिर में किया जाता है और सामान्यतः धूप-बत्ती जलाने के बाद भगवान की मूर्ति को भोग लगाया जाता है), धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना, और देवताओं की स्तुति करना, आदि.[64] शुद्धता और प्रदूषण के बीच विभाजन, धार्मिक रीति-रिवाजों की एक उल्लेखनीय विशेषता है. धार्मिक कृत्यों में यह मानकर चला जाता है कि उसको करने वाले में कुछ अशुद्धि अथवा कलंक अवश्य मौजूद है, जिसे धार्मिक अनुष्ठान के दौरान या पहले समाप्त या दूर किया जाना चाहिए. जल द्वारा शुद्धीकरण, अधिकांश धार्मिक कृत्यों का एक अभिन्न अंग है.[64] अन्य विशेषताओं में शामिल हैं बलिदान के सद्प्रभाव में विश्वास तथा स्वयं को लायक बनाने की इच्छा, जिसे धीरे-धीरे सत्कर्मों और दान द्वारा प्राप्त किया जाता है और जो परलोक में होने वाले कष्टों को कम करने में मदद करता है.[64] श्रद्धालू मुसलमान मस्जिद द्वारा अजान दिए जाने पर निश्चित समय पर दिन में पांच बार नमाज अदा करते हैं. नमाज अदा करने के पहले उन्हें स्वयं को वज़ू द्वारा शुद्ध करना होता है, जिसमें शरीर के आमतौर पर खुले रहने वाले अंगों को धोना शामिल होता है. सच्चर समिति के एक ताजा अध्ययन में पाया गया कि 3-4% मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं.[65] आहार संबंधी आदतों पर धर्म का काफी प्रभाव पड़ता है. लगभग एक तिहाई भारतीय शाकाहारी हैं; बौद्ध धर्म के समर्थक अशोक के शासनकाल में इसको काफी प्रचार मिला.[66][67] शाकाहारी भोजन ईसाइयों तथा मुसलमानों के बीच अधिक प्रचलित नहीं है.[68] जैन धर्म की सभी संप्रदायों और परंपराओं में सभी भिक्षुओं तथा जन-साधारण के लिए शाकाहारी होना आवश्यक है. हिंदू धर्म में गोमांस खाना वर्जित है जबकि इस्लाम में सूअर का मांस खाना वर्जित है. [संपादित करें] रस्में एक हिंदू विवाह. जन्म, विवाह और मृत्यु जैसे अवसरों पर अक्सर काफी विशिष्ट प्रकार की धार्मिक रस्मों का पालन किया जाता है. हिंदू धर्म में जीवन-चक्र से संबंधित प्रमुख रस्मों में शामिल हैं अन्नप्राशन (बच्चे द्वारा पहली बार ठोस आहार का सेवन करना), उपनयनम (उच्च जाति के लड़कों में "जनेऊ" बांधने की रस्म), और श्राद्ध (मृतक परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करना).[69][70] अधिकांश भारतीयों में, युवा जोड़े की सगाई तथा शादी की निश्चित तिथि और समय को माता-पिता द्वारा ज्योतिषियों के परामर्श से तय किया जाता है.[69] मुसलमान भी कई प्रकार के जीवन-चक्र से संबंधित रिवाजों का पालन करते हैं जो हिंदुओं, जैनियों, तथा बौद्धों से अलग होते हैं.[71] कई रस्में जीवन के शुरुआती दिनों से संबंधित होती हैं, जिनमें शामिल हैं, फुसफुसा कर प्रार्थना करना, प्रथम स्नान, और सिर की हजामत बनाना. धार्मिक शिक्षा की शुरुआत जल्द ही हो जाती है. लड़कों की खतना रस्म आमतौर पर जन्म के बाद की जाती है; कुछ परिवारों में इसे यौवन के शुरू होने के बाद ही किया जाता है.[71] शादी में पति द्वारा पत्नी को दहेज दिया जाता है और एक सामाजिक समारोह का आयोजन करके इस वैवाहिक अनुबंध को मान्यता प्रदान की जाती है.[71] मृतक व्यक्ति को दफ़नाने के तीन दिन बाद मित्र तथा परिजन एकत्र होकर दुखी परिवार को सांत्वना प्रदान करते हैं, कुरान को पढ़ते और सुनते हैं, और मृतक की आत्मा के लिए प्राथना करते हैं.[71] भारतीय इस्लाम, महान सूफी संतों की इबादत के लिए बनाई गयी दरगाहों को तवज्जो दिए जाने के कारण जाना जाता है.[71] [संपादित करें] तीर्थ इन्हें भी देखें: Hindu pilgrimage sites in India एवं Buddhist pilgrimage sites in India 2001, प्रयाग में महा कुंभ मेला जिसने दुनिया भर से सात करोड़ हिन्दुओं को अपनी ओर आकर्षित किया, जिसे धरती का सबसे बड़ी धार्मिक सभा मानी जाती है. मार थोमा चर्च द्वारा आयोजित किया गया मारामोन कन्वेंशन एशिया में सबसे बड़ा वार्षिक ईसाई सभा है भारत में कई धर्मों के तीर्थ स्थान मौजूद हैं. दुनिया भर के हिंदू इलाहाबाद, हरिद्वार, वाराणसी, और वृंदावन जैसे कई धार्मिक शहरों की महिमा को पहचानते हैं. प्रमुख मंदिर वाले वाले शहरों में शामिल हैं, पुरी, जहां प्रसिद्ध वैष्णव जगन्नाथ मंदिर है और प्रचलित रथ यात्रा निकाली जाती है; तिरुमाला-तिरुपति, जहां तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर है; और कटरा, जहां वैष्णो देवी का मंदिर विराजमान है. हिमालय के पहाड़ों में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शहरों को चार धाम तीर्थ यात्रा के नाम से जाना जाता है. प्रत्येक चार (बारह) साल में आयोजित होने वाला कुम्भ मेला हिंदुओं के पवित्रतम तीर्थों में से है; इसे बारी-बारी से इलाहबाद, हरिद्वार, नासिक, तथा उज्जैन में मनाया जाता है. बौद्ध धर्म के आठ महान स्थानों में से सात भारत में स्थित हैं. बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर वे स्थान हैं जहां गौतम बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई थीं. सांची में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित एक बौद्ध स्तूप है. भारत में हिमालय की तलहटी में कई तिब्बती बौद्ध स्थलों का निर्माण किया गया है, जैसे कि रुमटेक मठ एवं धर्मशाला. मुसलमानों के लिए अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ एक प्रमुख तीर्थ स्थान है. अन्य इस्लामी तीर्थों में शामिल हैं, फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती का मकबरा, दिल्ली की जामा मस्जिद, और मुंबई की हाजी अली दरगाह. जैनियों के उल्लेखनीय तीर्थ स्थानों में शामिल हैं माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिर, पालिताना, पावापुरी, गिरनार, तथा श्रवणबेलगोला. अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब सिक्खों का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है, जबकि स्वामीथोप में स्थित थलाईमईपथि, अय्यावाझी संप्रदाय के सदस्यों का प्रमुख तीर्थ स्थान है. दिल्ली में स्थित लोटस टेम्पल बहाई आस्था से जुड़े लोगों के लिए उपासना का एक प्रमुख स्थान है. [संपादित करें] त्यौहार मुख्य लेख : Public holidays in India धार्मिक त्योहारों को व्यापक रूप से मनाया जाता है और भारतीयों के जीवन में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है. भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को ध्यान में रखते हुए किसी भी धार्मिक त्यौहार को राष्ट्रीय छुट्टी का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है. दीवाली, गणेश चतुर्थी, होली, दुर्गा पूजा, उगाडी, दशहरा, और पोंगल/संक्रांति भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार हैं. मुसलमानों में ईद-उल-फितर तथा ईद-उल-जुहा के त्योहारों को काफी व्यापक रूप से मनाया जाता है. कुछ उल्लेखनीय सिक्ख छुट्टियों में शामिल हैं, गुरु नानक का जन्मदिवस, बैसाखी, बंदी छोड़ दिवस (जिसे दिवाली भी कहा जाता है) और होला महोल्ला. क्रिसमस, और बुद्ध जयंती शेष धार्मिक समूहों की प्रमुख छुट्टियां हैं. कई त्योहारों को भारत के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है, जबकि कई राज्यों तथा क्षेत्रों में धार्मिक तथा भाषाई आधार पर अपने स्थानीय त्यौहार भी होते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ विशिष्ट मंदिरों या दरगाहों से संबंधित सूफी संतों के सम्मान में मनाये जाने वाले उत्सव तथा त्यौहार काफी आम हैं. मुहर्रम एक ऐसा अनूठा त्यौहार है जिसमें उत्सव नहीं मनाया जाता है; इसे 680 ई. में मुहम्मद के परपोते इमाम हुसैन की शोकाकुल स्मृति के रूप में मनाया जाता है. एक तजिया (हुसैन के मकबरे के समान बांस की एक प्रतिकृति) को पूरे शहर में घुमाया जाता है. मुहर्रम को भारतीय शिया इस्लाम के केन्द्र लखनऊ में काफी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.

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